Wednesday, October 19, 2011

Hindi Short Story Nark By M.Mubin


कहानी      नरक    लेखक  एम मुबीन   


तीन दिन में पता चल गया कि मगन भाई ने उसे कमरा किराये पर नहीं दिया बल्कि उसे कमरा किराए पर देने के नाम पर ठग लिया है.
अब सोचता है तो उसे स्‍वंय  आश्चर्य होता है कि इससे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई? बस कुछ देर के लिए वह उस बस्ती में आया. मगन भाई ने अपनी चाल का बंद कमरा खोलकर उसे बताया 1012 x कक्ष था. जिसके एक कोने में किचन बना हुआ था. उससे लगकर छोटा सा बाथरूम जिसे उर्फ आम में मवरी कहा जा सकता था. कमरे में एक दरवाजा था जो तंग सी गली में खुलता था. दो खिड़कियां थीं हुआ और प्रकाश का अच्छा प्रबंध था. जमीन पर रफ ला दिया था. कमरे का पलासटर जगह जगह से उखड़ गया था परंतु समेनट का था . छत पतरे की थी. गली के दोनों ओर कच्चे झोनपड़ों का सिलसिला था जो दूर तक फैला था. मध्य एक नली बह रही थी. जिससे गंदा पानी उबल कर चारों ओर फैल रहा था जिसकी बदबू से मस्तिष्‍क फटा जा रहा था. मगन भाई की वह चाल सात आठ कमरों शामिल थी. उसके मन ने फैसला किया कि उसे इस शहर में इतना अच्छा कमरा इतने कम दामों पर किराए पर नहीं मिल सकता है. इस शहर में इससे अच्छे कमरे की आशा भी नहीं रखी जा सकती थी. वह तुरंत कमरा लेने पर राजी हो गया.
दूसरे दिन उसने पच्चीस हजार रुपये मगन भाई को डपाज़ट के रूप में अदा किए. मगन भाई ने तुरंत किराया समझौते के दस्तावेज हस्ताक्षर कर उसके हवाले कर दिए. बिजली और पानी का अपनी तौर पर प्रबंध करने के बाद उसे किराए के रूप हर महीने मगन भाई केवल सौ रुपए अदा करने थे. किराए का करार पत्र केवल ग्यारह महीने के लिए था परंतु मगन भाई ने वादा किया था वह ग्यारह महीने बाद भी वह कमरा खाली नहीं कराएगा. वह जब तक चाहे इस कमरे में रह सकता है. अगर उसका कहीं दूसरी जगह इससे बेहतर प्रबंधन हो जाता है तो वह अपनी डपाज़ट की राशि वापस लेकर कमरा खाली कर सकता है.
उस शाम अपने दोस्त के घर से अपना छोटा सा सामान लेकर दोस्त और उसके घर वालों को अलविदा कहकर अपने नए घर में आ गया. दो तीन घंटे तो कमरे की सफाई में लग गए बाकी थोड़े से सामान को करीने से सजाने में . कमरे में बिजली का प्रबंध था. उसे सिर्फ बल्ब लगाने पड़े. कमरे की सफाई से वह इतना थक गया था कि उस रात वह बिना खाए पए ही सो गया. सवेरे हस्बेआदत सामान्य छह बजे के समीप  आंख खुली तो अपने आप को वह तर व ताज़ा महसूस कर रहा था.
बस्ती में पानी आया था. घर के सामने एक सरकारी नल पर औरतों की भीड़ थी. "पानी की व्यवस्था करना चाहिए." उसने सोचा. परंतु पानी भरने के लिए कोई बर्तन नहीं था. चहलकदमी करते हुए अपने घर से थोड़ी दूर आया तो उसे एक कराने की दुकान दिखी. इस दुकान पर लटके पानी के कैन देखकर उसकी बानछें खुल गईं. कारोबार खरीद कर वह नल पर आया और नंबर लगाकर खड़ा हो गया. नल पर पानी भरती औरतें उसे अजीब नज़रों से घूर कर आपस में एक दूसरे को कुछ इशारे कर रही थीं. उसका नंबर आया तो उसने कैन भरा और अपने घर आ गया. नहा धोकर कपड़े बदले घर में नाश्ता तो बना नहीं सकता था. नाश्ता बनाने के लिए आवश्यक कोई भी वस्‍तु  नहीं थी .
किसी होटल में नाश्ता करने का सोचता हुआ वह घर से बाहर निकल आया. सोचा नाश्ता करने तक ऑफिस का समय हो जाएगा तो वह ऑफिस चला जाएगा. उस दिन वह अपने आप को बेहद चाक और चौबनद और खुश और खुर्रम महसूस कर रहा था. एक एहसास बार बार उसके भीतर एक करोटें ले रहा था कि अब वह इस शहर में बेघर नहीं है. उसका अपना एक घर तो है.
कल तक यह एहसास उसे कचौकता रहता कि उसके पास एक अच्छी नौकरी है, परंतु रहने के लिए छत नहीं है. वह दूसरों की छत के नीचे शरण लिए हुए है. और छत की शरण कभी भी उसके सिर से हट सकती है.उसे अपनी योग्यता के आधार पर इस शहर में नौकरी तो मिल गई थी. परंतु इस शहर में उसका न तो कोई रिश्तेदार था और न ननवा. उसने ड्यूटी संयुक्त तो कर ली परंतु आवास की सबसे बड़ी समस्या किसी िफ़्रीत की तरह के सामने मुंह फाड़ खड़ा था. इस समस्या का समय हल उसने एक मध्यम स्तर के होटल में एक कमरा किराए से लेकर निकाल लिया. कुछ दिनों में ही उसे लगा कि उसकी वेतन में इस होटल में केवल रह सकता है, खा पी नहीं सकता. इसलिए उसने दूसरे सहारे की खोज शुरू कर दी. उसे एक होस्टल में सिर छिपाने की जगह मिल गई. दो चार महीने उसने होस्टल में निकाले. परंतु एक दिन वह सख्त संकट  में फंस गया. एक दिन पुलिस ने उसने होस्टल में छापा मारा और होस्टल के सारे निवासियों को गिरफ्तार कर लिया. इस होस्टल से पुलिस को मादक पदार्थ मिली थीं. इस होस्टल में कुछ गैर सामाजिक तत्वों मादक का कारोबार करते थे. बड़ी मुश्किल से वह पुलिस के चंगुल से छूट पाया.
वह एक बार फिर बेघर हो गया था. वह अपने लिए किसी छत की खोज कर रहा था कि अचानक उसकी मुलाकात एक दोस्त से हो गई. वह दोस्त काफी दिनों के बाद मिला था. इस दोस्त का इस शहर में छोटा सा व्यवसाय था . उसने अपना समस्या उसके सामने रखा तो उसने बड़े प्रेम से उसे पेशकश की कि जब तक तुम्हारा कोई व्यवस्था नहीं हो जाता तुम मेरे घर में रह सकते हो. प्रबंधन होने के बाद चले जाना. उसे उस समय अपना वह मित्र एक स्वर्गदूत पता चला. वह अपने दोस्त के घर रहने लगा साथ ही साथ अपने लिए कोई कमरा ढूंढने लगा.
शहर में किराए से मकान मिलना मुश्किल था. मकान खरीदने की उसकी बूते नहीं थी. जो मकान मिलते थे उनका किराया उसकी आधी वेतन से अधिक था पर डपाज़ट की प्रभाव राशि की शर्त. कुछ दिनों बाद थक हार कर उसने सोचा उसे ऐसे क्षेत्रों में मकान खोज करना चाहिए जहां कमरों के दाम कम हूं भले ही वह क्षेत्र के स्वभाव और गुणवत्ता नहीं. उसे इससे क्या लेना देना है. उसे केवल रात में एक छत चाहिए. दिन भर तो वह ऑफिस में रहेगा.
उसे एक एस्टेट एजेंट ने मगन भाई से मिलाया. मगन भाई ने बताया कि बस्ती में उनकी चाल में एक कमरा खाली है वह पच्चीस हजार रुपये डपाज़ट पर देंगे.
"ठीक है मगन भाई मैं डपाज़ट की व्यवस्था कर आप से मिलता हूँ." कहकर वह चला आया और पैसों के प्रबंधन में लग गया. इतने पैसों का प्रबंध बहुत मुश्किल था. अपने शहर जाकर उसने दोस्तों और रिश्तेदारों से ऋण लिया और घर के गहने एक बैंक में ग्रहण रखकर ऋण लिया और पैसों का इंतजाम करके वापस आया. मगन भाई ने कमरा दिखाया उसने कमरा पसंद करके पैसे मगन भाई को दिए और रहने लगा.
शाम को जब वह जरूरी सामान से लदा अपने घर आया तो अपने घर के निकट पहुंचने पर उसके कदम ज़मीन में गुड़ गए. गली में चारों ओर पुलिस फैली हुई थी.
"क्या बात है भाई! यह गली में पुलिस क्यों आया है?" उसने एक आदमी से पूछा.
"होगा क्या? दारू के अड्डे पर झगड़ा हुआ उसमें चाकू चल गए और एक आदमी टपक गया." यह कहता हुआ वह आदमी आगे बढ गया.
"तो इस जगह शराब का अड्डा भी है?" सोचता हुआ वह अपने घर की तरफ बढ़ा और सामान पैरों के पास रख कर दरवाज़ा खोलने लगा. सामान घर में रख कर वह मामले की जानकारी जानने के लिए बाहर आया तो तब तक पुलिस जा चुकी थी और लाश भी ाठवाई जा चुकी थी. आसपास के लोग जमा होकर इस घटना के बारे में बातें कर रहे थे.
"अभी तो पुलिस ने अड्डा बंद कर दिया है. कल फिर शुरू हो जाएगा."
"यह अड्डा है कहाँ?" उसने पूछा तो वे उसे सिर से पैर तक देखने लगे.
"बाबू किस दुनिया में हो तुम जिस चाल में रहते हो इसी में तो दारू का अड्डा है."
"मेरी चाल में शराब का अड्डा?" उसने आश्चर्य से यही बात दोहराई.
"हां! न केवल शराब गृह बल्कि एक जुए का अड्डा भी है. एक कमरे में मादक बिक्री होती है और अन्य दो कमरों में धंधा करने वालिआं रहती हैं." यह सुनते ही उसकी आंखों के सामने तारे नाचने लगे. उसकी चाल में शराब, जुए और ड्रग अड्डे हैं यहां ्वायफें भी रहती हैं और अब वह उसी चाल में रह रहा है. उस दिन तो उसे केवल यह पता चला कि वह कैसी जगह रहने आया है परंतु दो चार दिनों के बाद उसे यह पता चला कि वहां रहना कितना बड़ा प्रकोप  है. लोग बे धड़क घर में घुस आते थे और तरह तरह की फरतिशें करते थे.
"एक बोतल चाहिए."
"ज़रा एक अफीम की गोली देना."
"एक आतंक  की पौड़ी देना."
"यमुना बाई को बुलाना, आज उसका फुल नाइट का रेट देगा." वह यह सब सुनकर अपना सिर पकड़ लेता और उस व्यक्ति को पकड़ कर बाहर कर देता और उसे बताता कि उसे उसकी आवश्यक वस्तु कहां मिल सकती है. इस बीच उसे पता चल गया था कि कहां कौन सा धंधा चलता है और धंधे का मालिक कौन है. दरवाज़ा खुला छोड़ना एक सिर दर्द था इसलिए उसने दरवाजे को हमेशा बंद रखने में ही खैरियत समझी. परंतु दरवाजा बंद रखना तो और भी सिर दर्द था. दरवाज़ा ज़ोर ज़ोर से पीटा जाता. जैसे अभी तोड़ दिया जाएगा. वह झल्ला कर दरवाजा खोलता तो वही प्रशन   सामने होते थे जो दरवाजा खुला होने पर ाजनब्यूं द्वारा घर में घुसकर पूछे जाते थे. वह सोचता वह अकेला है केवल रात को ीहास सोने के लिए आता है तो उसका यह हाल है. इसके बजाय वह या कोई भी शरीफ़ आदमी अपने परिवार के साथ तो एक क्षण भी नहीं रह सकता है.
यहां उसका रहना कठिन है तो भला वह अपने परिवार यहाँ लाने के बारे में कैसे सोच सकता है. हर दिन एक नई कहानी, एक नया हंगामा और एक नया घटना सामने आता था. शराबी जवारी आपस में लड़ पड़ते और यह तो एक आम सी बात थी.
एक ग्राहक यमुना बाई के घर में जाने की बजाय सामने वाले रघुवीर के घर में घुस गया और उसकी पत्नी से छेड़छाड़ करने लगा. पुलिस छापा मारने आई तो शराब का अड्डा चलाने वालों ने शराब के दो कैन वापस रहने वाले गनपत के घर में छुपा दिए पुलिस ने वह कारोबार ढूंढ निकाले. अड्डा चलाने वाले तो भाग गए परंतु बेचारा गनपत इस अपराध में पकड़ा गया.
सामने की शियामलह बाई यमुना बाई के कमरे के पास खड़ी थी पुलिस ने यमुना बाई के अड्डे पर रेड और देह के अपराध में शियामलह को पकड़ कर ले गई. वह बड़ी मुश्किल से छूट पाई.
मादक का धंधा करने वाले सईद के घर में मादक फेंक गए और पुलिस सईद के घर से ड्रग्स बरामद कर उसे उठा ले गई. ये सारे घटनाक्रम देख कर उसका दिल आतंक  के मारे दहल जाता था. वह सोचता कि हो सकता है यह घटना कल उसके साथ भी हो. गुंडे उसके कमरे में मादक फेंक जाएं या शराब रख जाएं और पुलिस उसके घर से वह चीजें बरामद कर उसे भी इसी तरह पकड़ कर ले जाए. यमुना बाई उसके कमरे के सामने खड़ी हो कर किसी ग्राहक से मोल तोल कर रही होगी और पुलिस यमुना को तो धर लेगी और उसे भी इस अपराध में गिरफ्तार कर ले जाएगा. कि वह उस जगह देह का धंधा करवाता है.
यहाँ इस छत के नीचे रहने से तो बेहतर है बेघर आसमान की खुली छत के नीचे रहा है. वहां रहते हुए मन में केवल पीड़ा  का एहसास होगा कि वह घर है परंतु छत के नीचे रहकर क्षण क्षण आतंक का बंदी  होकर तो नहीं जिए है. इन सब बातों से घबरा कर उसने एक फैसला कर लिया कि उसे यह घर छोड़ देना चाहिए. जब तक कोई दूसरा इंतजाम नहीं हो जाता भले इसे घर रहना पड़ेगा परंतु इस आतंक  और प्रकोप  से तो बचा रहेगा. वह मगन भाई के पास गया और उससे साफ कह दिया. "मेरा डपाज़ट वापस कर दीजिए. मुझे आपका कमरा नहीं चाहिए."
"अरे कैसे वापस करेगा. हमारा ग्यारह महीने का ाीगरीमेनट है इसलिए तुम ग्यारह महीने से पहले वह कमरा खाली नहीं कर सकता."
"तुम ग्यारह महीने की बात करते हो. मैं इस जगह एक पल भी नहीं रह सकता. अपनी पूरी चाल शराब, जुए, मादक और वेश्‍याओं के अड्डे चलाने वालों को किराए पर दी है और इस जगह मुझसे सज्जन को भी धोखे से किराए पर रखा. तुम्हें ऐसा ज़लील काम करते हुए शर्म आनी चाहिए. मेरे बजाय किसी शराब, जुए, मादक और देह का धंधा करने वाले को किराए पर दे देते. "
"अरे भाई! उन लोगों को मैंने कमरे किराए से कहां दिए हैं. मैंने वहां चाल बनाई थी और इस लालच में कमरे नहीं दिए थे कि मुझे ज्यादा डपाज़ट और किराया मिलेगा. वह गुंडे बदमाश लोग तालह तोड़ कर उन कमरों में घुसआए हैं और अपने काले धंधे करने लगे. मैंने एक सज्जन को एक कमरा किराए से दिया था जो कुछ दिनों पहले वहाँ के वातावरण से डर कर भाग गया. उस कमरे पर भी गुंडे कब्जा न कर लें इसलिए वह कमरा तुम्हें किराए पर दे दिया. अब तुम उसे खाली करने की बात करते हो. अरे बाबा जाओ वह कमरा मैंने तुम्हें दे दिया. हमेशा के लिए दे दिया. मुझे किराया भी मत दो. तुम वह कमरा छोड़ दोगे और मैं तुम्हें डपाज़ट वापस कर दूंगा तो उस कमरे पर कोई गुंडा कब्जा कर लेगा. मगन भाई की बात सुनकर उसका गुस्सा ठंडा हुआ. उसे लगा मगन भाई तो अधिक मज़लूम है. "मगन भाई!गुंडो ने तुम्हारी पूरी चाल पर कब्जा कर लिया और तुमने पुलिस में शिकायत भी नहीं की? "
"शिकायत करके क्या मुझे अपने जीवन गुणवान है. वह सब गुंडे लोग हैं उनके मुंह कौन लगेगा. पुलिस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. पुलिस उनसे मिली हुई है. शिकायत पर थोड़ी देर के लिए उन्हें अंदर करेगी वहफिर स्वतंत्र होकर मेरी जान के दुश्मन बन जायेंगे. इसलिए मैंने यह सोच लिया कि वह मेरी चाल है ही नहीं. यह समझ लिया कि मुझे व्यापार में घाटा हो गया. देखो अगर तुम वहां रहना नहीं चाहते तो किसी से भी डपाज़ट की राशि डपाज़ट के रूप में लेकर वह कमरा उसे दे दो. मुझे कोई आपत्ति नहीं होगा. मैं उसे भी बना किराए का करार पत्र बनाकर दे दूंगा. "मगन भाई की बातें सुनकर वह चुपचाप वापस आ गया.
उस रात उसे रात भर नींद नहीं आई. उसके सामने एक ही प्रशन   था. वह वहां रहे या चला जाए? फिलहाल तो ऐसी स्थिति थी. वह उस जगह से कहीं जा नहीं सकता था. वहां रहना एक प्रकोप  था. परंतु इतना भी बज़दल डरिपोक नहीं था कि इस प्रकोप  से डर कर भाग की राह ले ले. हर प्रकार की स्थिति का सामना करने के लिए उसने स्‍वंय  को तैयार कर लिया था. उसे केवल रात में ही तो मानसिक करबों को झेलना पड़ता था. दिन में तो वह ऑफिस में रहता था. दिन में वहां क्या होता है या जो कुछ होता था उन सबबातों के सामने वह नहीं होता था. परंतु रात घर आने पर दिन में जो कुछ होता था वह सारी कहानी उसे मालूम पड़ जाती थी.
दो शराब्यूं ने ऊषा को छेड़ा, एक गुंडे ने अशोक की पत्नी लक्ष्मी की इज्जत लूटने की कोशिश की. गुंडो में जमकर मारपीट हुई तो कई घायल हुए और पूरा कमरा ध्वस्त हो गया. आज गुंडो के टकराव में पिस्तौल चल पड़ी, गोली कोई गुंडा तो घायल नहीं हुआ परंतु सामने रहने वाले लक्ष्मण के दस वर्षीय लड़के को गोली लग गई उसे अस्पताल ले जाया गया अब उसकी हालत बहुत नाजुक है.
जो लोग उसे यह कहानियां सुनाते वह उन पर बरस पड़ता था. "कब तक तुम लोग यह सब सहन करते रहोगे. तुम लोग शरीफ हो. यह मुहल्ला शरीफों का है और गुंडो ने इस मुहल्ले पर कब्जा कर उसे शरीफों के रहने के योग्य नहीं रखा. अगर तुम चुप रहे और चुपचाप सब सहन करते रहे तो तुम लोगों के साथ भी यही होगा और हमेशा होता रहेगा. अगर इससे मुक्ति  हासिल करनी हो तो उसके विरोध करो. गुण्डों बदमाशों के विरूध  एकजुट हो जाओ और जो कुछ यहां हो रहा है उसके विरुद्ध पुलिस में शिकायत करो. तुम्हारी शिकायत पर पुलिस को कार्रवाई करनी ही पड़ेगी और यह सब कुछ रुक जाएगा. "
"निश्चित भाई! हम यह नहीं कर सकते." उसकी बातें सुनकर वह सहम गए. "यदि हमने ऐसा किया तो संभव है पुलिस कार्रवाई करे. परंतु वह अधिक दिनों तक गुण्डों को लॉक अप में नहीं रख सकेगी. शिकायत करने पर वे हमारे दुश्मन हो जाएंगे. और स्वतंत्र होते ही हमसे बदला जरूर लेंगे. इसलिए हम सोचते हैं गुण्डों से क्या उलझा जाए. जो कुछ हो रहा है चुपचाप सहन करने में ही खैरियत है. "
"यही तो आप लोगों की कमजोरी है. विरोध की हिम्मत और साहस नहीं है जिससे गुंडो का साहस बढ़ती जाती है. विरोध नहीं कर सकते, सब कुछ ग़लत बात सहन  कर सकते हैं?" वह गुस्से से बोला. "यदि मेरे साथ दिन भी ऐसा कुछ हुआ तो मैं बिल्कुल सहन  नहीं करूंगा. जो मेरे साथ ऐसी वैसी हरकत करेगा उसे मजा चखा दूंगा. "दूसरे दिन वह शाम को ऑफिस से आया तो उसे चार पांच आदमियों ने घेर लिया. उनकी स्थिति और रूप ही ज़ाहिर कर रही थी कि गुंडे हैं.
"ऐ बाबू! क्यों बहुत नेता बनने की कोशिश कर रहा है? हम लोगों के विरूध  बस्ती वालों को भड़का रहा है. तो नया नया है इसलिए तुझे हमारी ताकत का अंदाज़ा नहीं है. ये लोग पुराने हैं इसलिए इन लोगों को हमारी ताक़त पता है. इसलिए यह कभी हमसे नहीं ालझें हैं. अगर यहां रहना है तो खैरियत इसी में है कि तुम भी पुराने बन जाओ. हमारी ताकत जान जाओ और हमसे मत उलझ. जैसा चल रहा है चलने दो, जो कुछ हो रहा वह होने दो. "एक गुंडा उसे घूर हुआ बोला.
"दादा! यह बातों से नहीं माने हैं. एक दो हड्डी पसली टूटे तो सारी नेता भूल जाएगा. उसे अब मजा चखा है." एक गुंडे ने यह कहते हुए अपनी हॉकी ास्टिक हवा में लहराई.
"नहीं आज के लिए इतनी चेतावनी काफ़ी है." इस गुंडे ने हाकी को रोक दिया. "इसके बाद उसने होशियारी की तो मेरी ओर से और दो चार हड्डियां तोड़ देना." यह कहता हुआ वह सब को लेकर चल दिया.
वह सन्नाटे में आ गया. उसका सारा शरीर पसीने में सराबोर हो गया. उसे ऐसा लग रहा था जैसे कई हाकी ास्टिक उसके शरीर से टकराई हैं. और उसका शरीर दर्द का फोड़ा बना हुआ है. उसे रात भर नींद नहीं आई. आंखों के सामने गुंडो के चेहरे घूमते और कानों में उनकी चेतावनी गूंजती रही. यदि आज वह गुंडे हाथ ाठादीते तो वह कैसे उनसे अपना बचाव कर पाता?
उसके मन में एक ही बात चकरा रही थी. जो आज टल गया वह कल भी हो सकता है. इससे बचने का एक ही तरीका है. चुपचाप आंखे बंद करके वह यहां रहे और जो कुछ हो रहा है उससे ला संबंध बन जाए तो उसे कभी कोई खतरा नहीं होगा. परंतु वहां रहना भी किसी नरक में रहने से कम नहीं था.
आए दिन गुंडो के झगड़े, फसाद, शराबी, नशा बल्लेबाज, जवारी और बदुकार लोगों का धड़क घर में घुस आना या अभद्र व्यवहार दरवाजा पीटना, पुलिस के रेड अलर्ट, रेट में गुंडे बदमाशों का तो निकल भागनाऔर  शरीफों का पकड़ा जाना. बात बात पर चाकू छरयों का चलना, आस पास रहने वालों की पत्नियों, माउं, बहनों से गुण्डों और वहां आने वालों की बदतमीज़याँ.
वह सोचने लगा कि किसी को यह कमरा डपाज़ट पर देकर उससे अपनी राशि लेकर इस नरक से निकल जाए. परंतु फिर सोचता कि वह अकेला इस नरक में रह सकता है, परंतु कोई शरीफ़ बाल बच्चे और परिवार वाले व्यक्ति को इस नरक में डालना क्या उचित है? उसका ज़मीर इस बात के लिए राजी नहीं हो पाता था और उसे इस नरक में रहने के लिए स्‍वंय  से समझौता करना पड़ा.
 
...
अप्रकाशित
मौलिक
------------------------समाप्‍त--------------------------------पता
एम मुबीन
303 क्‍लासिक प्‍लाजा़, तीन बत्‍ती
भिवंडी 421 302
जि ठाणे महा
मोबाईल  09322338918

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